• 1.“जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित” क्या है |
जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित सहकाररिता कानूनों के अन्तर्गत गठित एक वित्तीय संस्था है। जो अपने सदस्यों के बीच वित्तीय व्यवसाय करती है। संस्था म. प्र. सहकारी अधिनियम 1960 (क्रमांक 17 सन् 1961 ) की धारा -7 के अन्तर्गत सरकार द्वारा विनियमित है। संस्था म. प्र. सरकार के सहकारिता एक्ट का पूरी तरह पालन करती है। सहकारी संस्था होने के नाते किसी व्यक्ति विशेष का संस्था का स्वामित्व नहीं है। संस्था के सभी सदस्यों के मूलरूप व संस्था के अधिकार निहित है। संचालक मंडल द्वारा संस्था के सभी क्रियाकलापों का पालन किया जाता है। संस्था में संचालक मंडल द्वारा सामूहिक निर्णय लिया जाता है। जिससे पूरी पारदर्शिता बनी रहती है। जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित अपने कानूनी दायित्व के तहत सदस्यों के प्रति पूरी तरह जवाबदार है तथा निर्धारित कानूनों का पूरी तरह पालन करती है और भविष्य में करती रहेगी। |
• 2. “जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित” द्वारा जमाकर्ताओं को अधिक ब्याज क्यों दिया जाता है” |
संस्था में मूलरूप से बचत को बढ़ावा देने का कार्य करती है। वर्तमान परिदृश्य में जहाँ लोग बचत से विमुख होते जा रहे हैं वहाँ राष्ट्रीय परिसम्पत्तियों का पुनः निर्माण तथा व्यक्गित और सामाजिक समृद्वि सुनिश्चित करने के लिये आज के समय बचत को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है। संस्था इसे अपना नैतिक दायित्व मानकर कार्य कर रही है संस्था का उद्देश्य है कि आज के समय में लोग आधिकाधिक रूप से बचत के लिये प्रेरित हो इसके लिए जमाओं पर अधिक ब्याज दे रहा है ताकि निवेश पर जमाकर्ताओं को समुचित लाभ प्राप्त हो सके।
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• 3. जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित अपनी जमा राशियों का क्या उपयोग करती है |
जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित जमाओं के रूप में प्राप्त धनराशि को ऋण देने में उपयोग करती है। जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित मुख्य सदस्यों के बीच वित्तीय व्यवसाय करती है एवं जमा योजनाओं से प्राप्त राशि का निवेश ऋण देने के लिए किया जाता है। |
• 4.संस्था में जमा राशियों की क्या सुरक्षा है |
जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित में जमाराशियों की सुरक्षा के लिए संस्था ने कानून बना रखे है जिसका पालन करना वैधानिक रूप से आवश्यक है इसके अनतर्गत किसी भी सहकारी संस्था की रिर्जव फण्ड रखना अनिवार्य है। अधिनियम 1960 (क्रमांक 17 सन् 1961 ) की धारा - 7 के अनुसार कोई भी सोसायटी अपने अर्थाेराइज्ड शेयर केपिटल के (खर्च और नुकसान घटाकर) 10 गुना से ज्यादा जमाऐं स्वीकार नहीं कर सकती है। सरकार द्वारा निर्धारित मापद्ण्ड़ों का जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित पूर्ण रूप से पालन करने के लिए प्रतिवद्धता से कर रही है और भविष्य में करती रहेगी। |
• 5. कौन निवेश कर सकता है |
कोई भी वयस्क व्यक्ति और उसके परिवार का सदस्य या सहकारी संस्था आदि जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित के सदस्य बनकर संस्था की जमा योजनाओं में निवेश कर सकते हैं।
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• 6. सदस्य कौन बन सकता है |
कोई भी वयस्क व्यक्ति जो संस्था के कार्य क्षेत्र में निवास करता हो या रोजगार या कार्य करता हो वह संस्था में सदस्य बन सकता है जिसके खिलाफ कोई भी कोर्ट केस ना हो और ना ही दिवालिया घोषित हो। |
• 7.सदस्य कैसे बन सकता है |
यह बहुत आसान है मात्र 100 रूपये जमा करके और अपना बचत खाता खोलकर सदस्य बना जा सकता है। इस हेतु जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित के किसी भी निकटतम एक्सटेंशन सेन्टर, बचत सहायक कर्मी या सदस्य से सम्पर्क किया जा सकता है।या ूूूण्रंदांसलंदेवबपमजलण्बवउ पर भी देखा जा सकता है। |
• 8.जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित में निवेश की न्यूनतम एवं अधिकतम राशि क्या है |
विभिन्न जमा योजनाओं में निवेश की न्यूनतम राशि जमा योजनाओं के अनुसार निर्धारित है। अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है और न्यूनतम राशि 100 रूपये है।
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• 9.जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित में किसे निवेश करना चाहिये |
जो सदस्य अपनी जमाराशि पर अल्प अवधि, मध्य अवधि एवं दीर्घ अवधि में अच्छा प्रतिफल पाना चाहते है। ऐसेे सभी निवेशक विभिन्न जमा योजनाओं में निवेश कर लाभ प्राप्त कर सकते है।
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• 10.जन कल्याण साख सहकारी संस्था मर्यादित द्वारा जमा कर्ताओं को अधिक ब्याज कैसे दिया जाता है |
कई स्वाभाविक परिस्थितियाँ ऐसी है जिनके कारण संस्था को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है और संस्था अपनी प्रतिबद्धता के तहत जमाकर्ताओं को अधिक ब्याज प्रदान करती है। कुछ प्रमुख कारण निम्न है-
1.संस्था को अर्जित लाभ पर आयकर नहीं देना पड़ता। संस्था को आयकर अधिनियम धारा 80 पी के अनुसार आयकर से छूट प्राप्त है। इस कारण संस्था का लगभग 35 प्रतिशत आय की बचत होती है। जिससे संस्था के पास एक बड़ी राशि बच जाती है। जिसका उपयोग ऋण देने में किया जाता है। इससे संस्था की आय में वृद्धि होती है। इसी कारण संस्था को अन्य वित्तीय संस्थानों की तुलना में सदस्यों को अधिक ब्याज देती है।
2. संस्था की तरलता अनुपात (एस.एल. आर.) के लिए धन आरक्षित नहीं रखना पड़ता है बैंकों को तरलता अनुपात के रूप में कुल जमाओं का 25 प्रतिशत आरक्षित रखना पड़ता है बैंक जिस पर जमायें स्वीकार करते हैं। एस. एल. आर. के लिये आरक्षित धन पर उससे कम ब्याज प्राप्त होता है इसी कारण बैंक को हानि उठानी पड़ती है। बैक अपने वार्षिक लाभ हानि की गणना के समय इस हानि का समायोजन ग्राहकों को दिये जाने वाले ब्याज पर करते है। अतः उन्हें ब्याज दर कम रखने पर बाध्य होना पड़ता है। जब की सोसायटी को एस. एल. आर. के लिये धन आरक्षित रखने की कोई बाध्यता नहीं है। इस प्रकार एक करोड़ की जमाओं में से 25 लाख में से सोसाययटी के पास ऋण देने के लिये अतिरिक्त रूप से उपलब्ध होते है। और इसे संस्था की आय बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई आय से जमा कर्ताओं को अधिक ब्याज का भुगतान किया जाता है।
3.बैंक को नगदी आरक्षण अनुपात(सी. आर. आर.) के रूप में 4 प्रतिशत राशि आरक्षित रखनी होती है अर्थात 1 करोड़ रूपये में से 4 लाख रूपये आरक्षित कोष में रखने होते है जिन पर किसी प्रकार की कोई आय प्राप्त नहीं होती है जबकि इसकी बाध्यता नहीं होने के कारण ये राशि संस्था के पास ऋण देने के लिए उपलब्ध होती है और संस्था की आय बढ़ जाती है।
4.संस्था अपने कुशल प्रबंधन द्वारा भी बचत करती है। जैसे की बैंक व दूसरे संस्थान अपने स्थापना लागत और विविध खर्चो में भारी राशि खर्च करते है। जबकि संस्था में इनकी तुलना में पारिचालन लागत बहुत कम है और इसका लाभ ब्याज की (जमाओं पर ) उच्च दरों के रूप में सदस्य को दिया जाता है। उपरोक्त सभी कारणों से संस्था की आय वृद्धि होती है और संस्था अपने जमाकर्ताओं को अधिक ब्याज दे पाती है। |